Thursday, September 30, 2010

अयोध्या फैसला

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच की जस्टिस डी. वी. शर्मा, जस्टिस एस. यू. खान और जस्टिस सुधीर अग्रवाल की बेंच ने बहुमत से दिए गए फैसले में एक हिस्सा (जहां राम लला की प्रतिमा विराजमान है) हिंदुओं को मंदिर के लिए, दूसरा हिस्सा ( जहां सीता रसोई और राम चबूतरा है) निर्मोही अखाड़ा को और तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया। साल पुराने इस मामले पर फैसला देते हुए जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस एसयू खान ने कहा कि जिस जगह इस वक्त राम मंदिर मौजूद है, वह जगह हिंदुओं की है. तीन जजों की बेंच में बहुमत राय इस बात पर बनी कि तीन महीने तक स्थिति को जस का तस बनाए रखा जाए. यह वक्त दोनों पक्षों को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के लिए भी काफी होगा. दोनों पक्षों ने साफ कर दिया है कि वे सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चु्नौती देंगे | 2.7 एकड़ जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांट दिया जाए. एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दिया जाए. दूसरे हिस्से की मिल्कियत निर्मोही अखाड़े को मिले और तीसरा हिस्सा राम लला विराजमान का प्रतिनिधित्व करने वाले पक्ष को मिले. , वह इस्लाम के नियमों के खिलाफ बनवाई इसलिए उसे मस्जिद का दर्जा देना ठीक नहीं. जस्टिस डी.वी. शर्मा की राय थी कि विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने की जरूरत नहीं है। वह पूरी जमीन हिंदुओं को देने के पक्ष में थे।
फैसले के मुताबिक मंदिर के स्थान पर मस्जिद बनाई गई थी। तीनों जजों ने इस बात को माना कि वहां पहले मंदिर था। हालांकि जस्टिस खान ने कहा कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर तोडा़ नहीं गया था। वहां मंदिर खंडहर रूप में था। जस्टिस अग्रवाल और खान ने इस आधार पर विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने की बात कही, जबकि जस्टिस शर्मा का कहना था कि बाबर द्वारा बनवाई गई इमारत इस्लामी कानून और इस्लामी मूल्यों के खिलाफ थी। इस आधार पर पूरी जमीन हिंदुओं को मिलनी चाहिए।
जस्टिस खान ने कहा कि बाबरी मस्जिद को मुगल सम्राट बाबरी मस्जिद के आदेश से ही बनवाई गई थी
अपने फैसले में जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि परिसर का अंदरूनी हिस्सा हिंदू विश्वास के मुताबिक भगवान राम का जन्म स्थल है और इस पर हिंदुओं का हक है. लेकिन उन्होंने कहा कि दोनों समुदाय इस जमीन का दशकों से इस्तेमाल करते आ रहे हैं इसलिए कुछ हिस्से को छोड़कर बाकी पर दोनों का ही हक है.
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जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि परिसर के भीतर का हिस्सा निर्मोही अखाड़े और भगवान राम के प्रतिनिधियों को दिया जाए क्योंकि वे लोग उन दोनों जगहों पर पूजा करते रहे हैं.
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हालांकि, उस जमीन पर विवाद तो मध्ययुग से चला आ रहा है लेकिन इसने कानूनी शक्ल वर्ष 1950 में ली। देश में गणतंत्र लागू होने से एक हफ्ते पहले 18 जनवरी 1950 को गोपाल सिंह विशारद ने विवादित स्थल पर रखी गईं मूर्तियों की पूजा का अधिकार देने की मांग करते हुए मुकदमा दायर किया था।
तब से चली आ रही इस कानूनी लड़ाई में बाद में हिंदुओं और मुसलमानों के प्रतिनिधि के तौर पर अनेक पक्षकार शामिल हुए। अदालत ने इस मुकदमे की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के सैकड़ों गवाहों का बयान लिया। अदालत में पेश हुए गवाहों में से 58 हिन्दू पक्ष के, जबकि 36 मुस्लिम पक्ष के हैं और उनके बयान 13 हजार पन्नों में दर्ज हुए।
अयोध्या में राम जन्मभूमि मुगल बादशाह बाबर ने उस भूमि पर एक मस्जिद बनवाई जिसके बारे हिंदुओं का दावा है कि वह भगवान राम की जन्मभूमि है और वहां पहले एक मंदिर था। विवादित भूमि पर सांप्रदायिक हिंसा संबंधी घटनाओं का दस्तावेजों में दर्ज पहला प्रमाण। ब्रिटिश अधिकारियों ने एक बाड़ बनाकर पूजास्थलों को अलग-अलग किया। अंदरुनी हिस्सा मुस्लिमों को दिया गया और बाहरी हिस्सा हिंदुओं को।
-1885: 
महंत रघुवीर दास ने एक याचिका दायर कर रामचबूतरे पर छतरी बनवाने की अनुमति मांगी, लेकिन एक साल बाद फैजाबाद की जिला अदालत ने अनुरोध खारिज कर दिया।
-1949:
मस्जिद के भीतर भगवान राम की प्रतिमाओं का प्राकट्य। मुस्लिमों का दावा कि हिंदुओं ने प्रतिमाएं भीतर रखवाई। मुस्लिमों का विरोध। दोनों पक्षों ने दीवानी याचिकाएं दायर की। सरकार ने परिसर को विवादित क्षेत्र घोषित किया और द्वार बंद कर दिए।
-18
जनवरी 1950: मालिकाना हक के बारे में पहला वाद गोपाल सिंह विशारद ने दायर किया। उन्होंने मांग की कि जन्मभूमि में स्थापित प्रतिमाओं की पूजा का अधिकार दिया जाए। अदालत ने प्रतिमाओं को हटाने पर रोक लगाई और पूजा जारी रखने की अनुमति दी।
-24
अपै्रल 1950: उप्र राज्य ने लगाई रोक। रोक के खिलाफ अपील।
-1950:
रामचन्द्र परमहंस ने एक अन्य वाद दायर किया लेकिन बाद में वापस ले लिया।
-1959:
निर्मोही अखाड़ा भी विवाद में शामिल हो गया तथा तीसरा वाद दायर किया। उसने विवादित भूमि पर स्वामित्व का दावा करते हुए कहा कि अदालत द्वारा नियुक्त रिसीवर हटाया जाए। उसने खुद को उस स्थल का संरक्षक बताया जहां माना जाता है कि भगवान राम का जन्म हुआ था।
-18
दिसंबर 1961: उप्र सुन्नी सेन्ट्रल बोर्ड आफ वक्फ भी विवाद में शामिल हुआ। उसने मस्जिद और आसपास की भूमि पर अपने स्वामित्व का दावा किया।
-1986:
जिला न्यायाधीश ने हरिशंकर दुबे की याचिका पर मस्जिद के फाटक खोलने और 'दर्शन' की अनुमति प्रदान की। मुस्लिमों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी गठित की।
-1989:
विहिप के उपाध्यक्ष देवकी नंदन अग्रवाल ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में एक ताजा याचिका दायर करते हुए मालिकाना हक और स्वामित्व भगवान राम के नाम पर घोषित करने का अनुरोध किया।
-23
अक्टूबर 1989: फैजाबाद में विचाराधीन सभी चारों वादों को इलाहाबाद हाईकोर्ट की विशेष पीठ में स्थानांतरित किया गया।
-1989:
विहिप ने विवादित मस्जिद के समीप की भूमि पर राममंदिर का शिलान्यास किया।
-1990:
विहिप के स्वयंसेवकों ने मस्जिद को आंशिक तौर पर क्षतिग्रस्त किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने बातचीत के जरिए विवाद का हल निकालने का प्रयास किया।
-6
दिसंबर 1992: विवादित मस्जिद को विहिप, शिवसेना और भाजपा के समर्थन में हिंदू स्वयंसेवकों ने ढहाया। इसके चलते देश भर में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे, जिनमें 2000 से अधिक लोगों की जान गई।
-16
दिसंबर 1992: विवादित ढांचे को ढहाए जाने की जांच के लिए न्यायमूर्ति लिब्रहान आयोग का गठन। छह माह के भीतर जांच खत्म करने को कहा गया।
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जुलाई 1996: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी दीवानी वादों पर एकसाथ सुनवाई करवाने को कहा।
-2002:
हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से खुदाई कर यह पता लगाने को कहा कि क्या विवादित भूमि के नीचे कोई मंदिर था।
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अपै्रल 2002: हाईकोर्ट के तीन न्यायाधीशों ने सुनवाई शुरू की।
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जनवरी 2003: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अदालत के आदेश पर खुदाई शुरू की, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या वहां भगवान राम का मंदिर था।
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अगस्त 2003: सर्वेक्षण में कहा गया कि मस्जिद के नीचे मंदिर होने के प्रमाण। मुस्लिमों ने निष्कर्षो से मतभेद जताया।
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जुलाई 2005: संदिग्ध इस्लामी आतंकी ने विवादित स्थल पर हमला किया। सुरक्षा बलों ने पांच आदमियों को मारा।
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जून 2009: लिब्रहान आयोग ने अपनी जांच शुरू करने के 17 साल बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस बीच आयोग का कार्यकाल 48 बार बढ़ाया गया।
-26
जुलाई 2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने वादों पर अपना फैसला सुरक्षित रखा। फैसला सुनाने की तारीख 24 सितंबर तय की।
-17
सितंबर 2010: हाईकोर्ट ने एक पक्ष रमेश चंद्र त्रिपाठी के अनुरोध को खारिज करते हुए अपना फैसला सुनाने की तिथि टालने से किया इनकार।
-21
सितंबर 2010: त्रिपाठी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति एके पटनायक की पीठ ने मामले पर सुनवाई से किया इनकार। मामले को अन्य पीठ के पास भेजा गया।
-23
सितंबर 2010: याचिका पर सुनवाई किए जाने के मामले में न्यायमूर्ति आर वी रवींद्रन और न्यायमूर्ति एच एल गोखले ने दी अलग-अलग राय। कोर्ट ने पक्षों को नोटिस जारी किए।
-28
सितंबर 2010: सुप्रीम कोर्ट का हाईकोर्ट को फैसला सुनाने की तिथि टालने का निर्देश देने से इकार। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाने की तिथि 30 सितंबर तय की।
-30
सितंबर 2010: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया।
-1853:  
-1859: 

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अयोध्या विवाद में ऐतिहासिक फैसला देते हुए विवादित जमीन से राम लला की प्रतिमा नहीं हटेगी। इसके साथ ही कोर्ट ने जमीन को तीन हिस्सों में राम लला पक्ष
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हालांकि उन्होंने साफ किया कि मुस्लिम पक्ष का हिस्सा किसी भी हालत में एक तिहाई से कम नहीं होना चाहिए, भले ही उसके लिए परिसर के बाहर का हिस्सा दिया जाए.
उधर जस्टिस खान ने कहा कि मुस्लिम, हिंदू और निर्मोही अखाड़ा तीनों पक्ष इस विवादित जमीन के मालिक हैं. उन्होंने कहा कि अदालत के नियुक्त किए गए कमिश्नर शिव शंकर लाल ने जिस प्लान वन के तहत जमीन को ए बी सी डी और ई हिस्सों में बांटा था, उसी के मुताबिक हर पक्ष को एक एक बराबर हिस्सा दे दिया जाए. जज ने यह भी कहा कि निर्मोही अखाड़े को जो हिस्सा मिले उसमें राम चबूतरा और सीता रसोई शामिल होगी. इसके अलावा गुंबद के नीचे जो मूर्ति रखी गई है वह हिस्सा हिंदुओं का दिया जाए. , लेकिन इससे यह साबित नहीं होता कि इस पर बाबर का या इसे बनाने वाले किसी और पक्ष का हक है. उन्होंने कहा कि इस मस्जिद को बनवाने के लिए कोई मंदिर नहीं तोड़ा गया बल्कि यह तो मंदिर के खंडहर पर बनाई गई जो वहां पिछले काफी वक्त से मौजूद था.
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जस्टिस खान और जस्टिस अग्रवाल ने आदेश दिया कि
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लेकिन तीसरे जज जस्टिस डीवी शर्मा ने अपने अलग फैसले में कहा कि विवादित जमीन राम का जन्म स्थल है और मुगल शासक बाबर ने जो मस्जिद बनवाई
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Ayodhya

We are poised tonight at a most sensitive decision, that shall take place afternoon, in the history of the nation - the Ayodhya Verdict. In 1992 the Babri Masjid was brought down by Hindu right winger believers who claimed that it was the site of the birth place of Ram. Today a bench of the High Court in Allahabad shall declare the verdict as to the authenticity of each religious claim. It is feared that the verdict going either way shall instigate violence by either group. Immense preparations and positioning for the security has been taking place as per the reportage of the electronic media. All possible sensitive areas have been almost garrisoned by armed forces. Appeals and proclamations by prominent citizens has been the order of the day, when peace and harmony has been declared by each community. A tense and anxious nation waits with baited breath.

Each and every citizen of value has submitted itself to the judiciary and its final decision. The uncertainty is whether the word and assurance shall be carried out. I feel it will. There has never been such a strong demonstration by the media and by all concerned on the need to keep a balance in whatever the circumstances. Patience and will shall be on test today.

May there be only harmony and well being amongst us. We have remained a strong and principled nation and it is expected that we shall remain so. One only hopes that those elements that have in the past caused disturbance and harm are able to see that violence has never been the solution to such issues. Prayers then for peace to prevail.

we shall wait !!

Good Night…  Love to all…
Naveen Jaiswal

Thursday, September 23, 2010

India ranked third among most powerful nations

Hello friends…
Do you know…?
India is listed as the third most powerful country in the world after the U.S. and China and the fourth most powerful bloc after the U.S., China and the European Union in a new official U.S. report.
India has been shining like a star through the global crisis. Countries around the globe are reeling under high unemployment rates and dismal growth rates. India on the other hand, has been giving good news with higher industrial output, higher growth rates, etc. However, at the same time India has also been in news for all the wrong reasons too. The Commonwealth Games have repeatedly highlighted the level of corruption in the country. To the extent that they are now being touted as the Commonwealth Same for the country.
However, the shining star story seems to have completely outweighed the corruption story. In a recent study conducted by US National Intelligence Council, India has been named as the third most powerful country in the world. With 8% of global power in its hands, India stands 3rd after United States (22% of power) and China (12% of power). If the European Union is included as a block, then it would account for 16% of global power, making India the fourth most powerful nation in the world. The model used by the agency took into account GDP, defense spending, population and technology for each country to come up with its rankings.
We are sure, all Indians would definitely be proud to hear this. To go from being a third world country to the third most powerful country in such a short period of time is definitely something to be proud of. However, let's not forget that power leads to corruption too. Maybe this is the explanation for the level of corruption that we are seeing in our country.
Good night my dearest ones, my family, my support system … it is late is it not...
Love ,
Naveen Jaiswal

Wednesday, September 22, 2010

Ganesh Anant Chaturdashi

Hello friends…
Today is the last day of the Ganesh Chaturthi festival.  It’s a time of unhappiness and celebration, as all the delightfully crafted statues of Lord Ganesh are immersed in the ocean and lakes across India.
Ganpati Bappa Morya                                 
Agale Baras tu Jaldi Aa                     
GANESH ki jyoti se noor miltahai
sbke dilon ko surur milta hai,
jobhi jaata hai GANESHA ke dwaar,
kuch na kuch zarror milta hai
“JAI SHREE GANESHA”
Tujhko Phir Se Jalwa Dikhana Hi Hoga…
Agle Baras Ana hi ana hi hoga..
Happy Anant Chaturdashi
Love and may the blessings of the mightly Ganesh be with all of us on this auspicious day !!
Naveen Jaiswal

Tuesday, September 21, 2010

Sunday, September 19, 2010

Hello

Today september 18, 2010 is the 261st day of this year. There are 104 days remaining until the end of the year.

Naveen Jaiswal